सूरज की पेशी – कन्हैया लाल नंदन
आँखों में रंगीन नज़ारे सपने बड़े-बड़े भरी धार लगता है जैसे बालू बीच खड़े। बहके हुए समंदर मन के ज्वार निकाल रहे दरकी हुई शिलाओं…
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आँखों में रंगीन नज़ारे सपने बड़े-बड़े भरी धार लगता है जैसे बालू बीच खड़े। बहके हुए समंदर मन के ज्वार निकाल रहे दरकी हुई शिलाओं…
नदी की कहानी कभी फिर सुनाना, मैं प्यासा हूँ दो घूँट पानी पिलाना। मुझे वो मिलेगा ये मुझ को यकीं है बड़ा जानलेवा है ये…
जो भी कमज़ोर हैं मुश्किलों में हैं सब सियासतदारों ने तो मुँह हैं उधर कर लिया किससे बोले अब हम किसको बताएँ ये सब दिलों…
उमंगों भरा दिल किसी का न टूटे। पलट जायँ पासे मगर जुग न फूटे। कभी संग निज संगियों का न छूटे। हमारा चलन घर हमारा…
कोई शहर जब कोई एक का होता है तब वो शहर शहर नहीं होता उतरते हवाई जहाज से देखता हूं जब रौशनियों से खचाखच शहर
वेदी तेरी पर माँ, हम क्या शीश नवाएँ? तेरे चरणों पर माँ, हम क्या फूल चढ़ाएँ? हाथों में है खड्ग हमारे, लौह-मुकुट है सिर पर-…
है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं है नमन उनको कि जिनके सामने…
ये जो काले रंग का कुर्ता है उसे कभी फेंकती नहीं मैं न तो किसी को देती हूँ। ये भी एक माध्यम है मेरी देह…
भगवान अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना भगवान अगले जन्म मुझे बेटी ना बनाना कुछ अपने घरों में हर साल कन्या पूजन करवाते हैं कुछ…
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! जाग तुझको दूर जाना! अचल हिमगिरि के हॄदय में आज चाहे कम्प हो ले! या प्रलय…