अपनी उत्कृष्ट रचना ; एक छायाचित्र एवं संक्षिप्त विवरण के साथ हमें निम्लिखित पते पर भेजें –
team@literatureinindia.in
सुझाव हेतु:
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महत्वपूर्ण सूचना: २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशनार्थ पंक्तिबद्ध होने के कारण दिसंबर माह तक कोई भी नई रचना प्रकाशनार्थ स्वीकार नहीं की जा सकेगी| आपको हुई असुविधा हेतु खेद है|
नोट:
- रचना प्रकाशनार्थ प्राप्त होने के उपरांत प्रकाशन हेतु विचाराधीन रहेगी| प्रकाशन हेतु सहमति के पश्चात रचना को literatureinindia.in पर प्रकाशित किया जायेगा|
- प्राप्त रचनाओं की संख्या अधिक होने के कारण इस पूरी प्रक्रिया में 15-20 दिन का समय अपेक्षित है|
कृपया मेरी 3 ग़ज़लें प्रकाशित करने का कष्ट करें।
धन्यवाद!
आपकी रचना प्रकाशनार्थ प्राप्त हुई है। जल्द ही आपको प्रकाशन संबंधी सूचना सामाजिक तंत्र पर दी जायेगी।
सादर!
क्या आप नेरे फेसबुक पर प्रकाशित या मेरे ब्लॉग से ली गयी रचना स्वीकार करेंगे ?
फॉर्म भरना अनिवार्य है।
महोदय ! क्या हम आपको अपनी ३ रचनाएँ प्रकाशन हेतु भेज सकते हैं?
महोदय ! हमने कल ही आपको अपनी ३ रचनाएँ प्रकाशन हेतु भेजी हैं, २ ग़ज़लें ,१ कविता . आप इनको कब और कहाँ प्रकाशित करेंगे ? कृपया बताने का कष्ट करें. और एक तस्वीर भी इ-मेल द्वारा कल ही भेजी है. आशा है आपको मिल गयी होगी.
धन्यवाद !
जी हाँ!
महोदय ! प्रणाम ! आप मेरी रचनाएँ कब प्रकाशित करोगे ,और कहाँ प्रकाशित करोगे ? क्या मुझे इसकी पूर्व-सूचना मिलेगी?
आदरणीय महोदय ,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ,जो आपने मेरी ग़ज़ल को अपनी इ- पत्रिका में प्रकाशित कर मुझे उत्साहित किया . मगर मेरी बाकी २ रचनाएँ कहाँ है ? मैने आपको ३ रचनाएँ भेजी थी. . बस यही जानना चाहती हूँ.
अपनी रचनाऐं हिंदी फॉन्ट में ही भेजनी हैं या हिंदी कन्वर्शन द्वारा भी भेजी जा सकती हैं ?
आप रचना हिंदी फॉन्ट में ही भेजे
सादर!
क्या आप मेरे द्वारा लिखी कविता प्रकाशित करेंगे?
जी आखिरी निर्णय संपादन मंडल का होगा।
मैने आपको अपनी कविता भेज दी हैं। अब आगे की प्रक्रिया आप करे जो भी परिणाम हो आप मुझें जरूर सूचित करे।
धन्यवाद
मैने आपको अपनी कविता भेज दी हैं। अब आगे की प्रक्रिया आप करे जो भी परिणाम हो आप मुझें जरूर सूचित करे।
धन्यवाद!
आपकी रचना हमे प्राप्त हो चुकी है एवं विचाराधीन है|
सादर!
क्या रचनाएँ यह प्रकाशित होने के बाद पुस्तक छापेगी कृर्पा उत्तर दे
मान्यवर!
यह पत्रिका फ़िलहाल पूर्ण रूप से वेब पर है|
सादर!
एक कविता भेजी
मेरी कविता कतनी प्राप्त किये है आप कृपया
मुझे सुचिता करे
आपकी रचना हमे प्राप्त हो चुकी है एवं विचाराधीन है|
सादर!
क्या मेरी कविता प्रकाशित की है कृपया मुझे
मेरे ईमेल सुचित करे ccp.kadipur@gmail.com
मेरी कविता प्रकाशित करे
क्या मेरी कविता प्रकाशित की गई हैं,
कृपया मुझे ईमेल करे ।
rajnandinirawat@gmail.com
पर
मै शिवम गौतम पिता का नाम -राम केवल
माता का नाम-साबित्री देवी पता-कालिकापुर पोस्ट-हमजापुर पठान तसील- कादीपुर जिला-सुल्तानपुर
मै कविता प्रकाशित हेतु भेजा था वह कब प्रकाशित होगी कृपया सुचिता करे
कृयया कर के मेरे ईमेल पते पर भेजे
अगर मेरी वाणी आप तक पहुची है
तो थोडा कष्ट करे||
( प्रणाम )
प्रिय शिवम,
नमस्कार!
आपको यह सूचित करना है कि प्रकाशन मंडल ने आपकी रचनाओं को प्रकाशन हेतु सहमति प्रदान नहीं की है, इस हेतु हमें खेद है|
आप रचनाकारों को पढ़ें और बेहतर रचना हेतु प्रयास करे, आप हमें अपनी उत्तम रचना के साथ फिर मिले, हम यही आशा करते है|
हम उम्मीद करते है कि आप निराश नहीं होंगे बल्कि और बेहतर रचने हेतु प्रयासरत रहेंगे|
शुभकामनाओं सहित,
[…] भेजे – Literature in India https://literatureinindia.com/submit_literature/ (Share from CM […]
मान्यवर
मेरी कविता कब और कहा पृकासित होगी
बताने का कष्ट करे
आपकी अति कृपा होगी
में आबिद हुसैन शैख / पीर मोहम्मद शैख
सर, मेने कुछ रचनाए आपको भेजी थी क्या उनमे से कोई प्रकाशित हुई
pls मुझे बताए ।
आबिद जी, आपकी एक रचना जल्द ही इसी वेबसाइट/जालपत्रिका पर प्रकाशित की जायेगी।
Thanks Sir
kya ek kavita bhi bheji ja sakti hai
जी हाँ!
रचना कहाँ छपेगी ?
जी https://literatureinindia.com पर|
सादर!
महोदय ,
मैंने अज्ञातवश एक साथ 8 कविताये भेज दी है।
मुझे बाद में पता चला कि 1 माह में 3 कविता से ज्यादा नही भेजना होता है।
कृपया करके आप मेरा पथ प्रदर्शित करें।
आशा करते है आप आगे से नियमों का आदर करेंगे, आप अपनी रचनाएँ आगे भी भेज सकते है|
सादर!
क्या फोटो एक बार ही मेल करना है या हर रचना के साथ। मार्गदर्शन करें।
धन्यवाद जी।
एक बार, ईमेल के विषय में अपना पूरा नाम लिखे| ताकि आप द्वारा भेजी गयी रचनाओं हेतु भविष्य में आपसे छायाचित्र हेतु अनुरोध करने की आवश्यकता न हो|
सादर!
महोदय ,
मैंने अपनी कविता literaturepoint@gmail.com पर दी थी।
आज मुझे रिप्लाई मिला है कि
हम आपकी किसी भी कविता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
उपयोग नहीं कर पा रहे हैं का क्या मतलब है सर, मेरी कविता आप को पसंद नही आई।
जी यह ईमेल हमारी संस्था से नहीं जुड़ा हुआ है कृपया रचना इसी फॉर्म के माध्यम से भेजे|
सादर!
सर
मेरी रचना कब और कहाँ प्रकाशित होंगी।
प्रकाशन हेतु अवलोकनार्थ है, जल्द ही सूचित किया जायेगा|
सादर!
महोदय, मैने आपको तीन मौलिक रचनाएं भेजी हैं।तथा वो रचनाए आपको पसंद आयी या नही। कृपया आप टिप्पणी जरूर करे।
महोदय, रचनाएं प्रेषित की गई हैं ,कृपया बताने का कष्ट करें की उन रचनाओं का लिट्ट्रेचर इन इंडिया में क्या भविष्य है।सधन्यवाद ।
आपकी रचना हमें प्राप्त नहीं हुई है, कृपया अवलोकनार्थ दुबारा भेजने का कष्ट करें!
सादर!
श्रीमान,
मैंने कहानी भेजी थी। मेरी कहानी कब और कहाँ प्रकाशित होगी। कृपा करके बताये।
सर मेने कविता जो भेजी थी क्या वो योग्य नही है
कृपया मुझे जानकारी दे
आपको ईमेल द्वारा सूचित किया जा चूका है|
सादर!
मान्यवर मेरी कहानी कब और कहा प्रकाशित हुई है ।
कृपया बताने का कृपा करें।
प्रकाशनार्थ अवलोकन किया जा रहा है|
सादर!
महोदय जी एक रचना अभी फाम॔ भर कर भेजी ।अतः रचना प्रप्ती व उसके संबंध में जानकारी देने का कष्ट करे ।रचना मौलिक तैयार की गई है ।सधन्यवाद ।
महोदय जी एक गीत अभी फाम॔ भर कर भेजा।अतः गीत प्राप्ती व उसके संबंध में जानकारी देने का कष्ट करे
धन्यवाद ।
महोदय जी मेरा गीत कब प्रकाशित होगा
pls मुझे बताएँ
प्रिय आबिद जी! प्रत्येक रचना का प्रकाशनाधिकार प्रकाशन मंडल के पास सुरक्षित है। रचना प्राप्ति के बाद विचार-विमर्श के उपरांत प्रकाशन सम्बंधी निर्णय लिया जाता है। प्रत्येक रचना प्रकाशित हो, यह ज़रूरी नहीं है…न ही न्यायसंगत है। हम प्रकाशित न होने पर एक स्मारक रचनाकार को ईमेल के माध्यम से भेजते है।
रचना प्रकाशित होने पर स्वयं जालपत्रिका एवं फ़ेसबुक/ट्विटर के माध्यम से सूचना प्राप्त की जा सकती है।
facebook.com/literatureinindia
twitter.com/LiteratureIN
सादर!
महोदय ,
मेरी कहानी कब प्रकाशित होगी।
मुझे बताने की कृपा करें।
जून अंक में सम्भावित है। सादर!
महोदय ,
मेरी कहानी ( अपराधी कौन?) कब तक प्रकाशित होगी?
आपकी इस शीर्षक की कोई भी रचना हमें प्राप्त नहीं हुई है अपितु आपकी ‘माँ, माँ थी वो’ प्रकाशित की गयी है| सादर!
Kahani ki kitab pr kitani roylty milegi
दिनेश जी!
लिटरेचर इन इंडिया में सम्पर्क हेतु आभार!
फ़िलहाल हम वेब पर प्रकाशन करते है, अतः अभी आय वितरण सम्बंधी कोई योजना प्रगतिशील नहीं हैं।
भविष्य में अगर इस तरह की कोई योजना हमारी टीम द्वारा स्वीकृत की जाएगी तो हम आपको विभिन्न सामाजिक माध्यमों एवं व्यक्तिगत रूप से अवश्य अवगत कराएँगे।
सादर!
मेरी रचना के प्रकाशन होने से सम्बंधित मेल प्राप्त हुआ।
धन्यवाद !
क्या मुझे यह जानकारी मिलेगी कि मेरी रचना कहाँ प्रकाशित हुई है।
https://literatureinindia.com/2017/02/26/rahe-salamat-watan-humara-abid-hussain-sheikh/
Thanks
kya mai apko kavita gmail kar skti hu??
बिलकुल! उपरोक्त ईमेल पते पर अपनी रचनाएँ प्रकाशनार्थ भेजिए।
बारिश
à¤à¤¨ बरसतॠबà¥à¤à¤¦à¥à¤ à¤à¥,
तà¥à¤® बारिश à¤à¤¹à¤¤à¥ हà¥..
मà¥à¤°à¥ शबà¥à¤¦à¤à¥à¤¶ मà¥à¤ à¤à¤¸à¥
‘पà¥à¤°à¥à¤®’ à¤à¤¹à¤¤à¥ हà¥à¤…
à¤à¤¬ यॠबरसता हà¥
मà¥à¤ ठपनॠà¤à¤à¤à¤¨ मà¥à¤ à¤à¤¾à¤à¤°
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पà¥à¤°à¥à¤® मà¥à¤ बस
à¤à¥à¤à¤¤à¥ हॠà¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤……
पà¥à¤°à¥à¤ मà¥à¤ ना à¤à¤¾à¤¨à¥à¤ à¤à¤¹à¤¾à¤ सà¥
नà¥à¤ªà¥à¤° à¤à¥ à¤à¤à¤à¤¾à¤°,
हाà¤à¤¥à¥à¤ मà¥à¤,तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पà¥à¤°à¥à¤® मà¥à¤ रà¤à¤à¥,
लाल-हरॠà¤à¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤
à¤à¤ शà¥à¤° à¤à¤ ा लà¥à¤¤à¥ हà¥à¤…
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पà¥à¤°à¥à¤® à¤à¥ बà¥à¤à¤¦à¥à¤,
सब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ ठठà¤à¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सà¥à¤
मà¥à¤°à¥ बà¤à¤§à¥ बालà¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤²à¤à¤°
शरारतà¥à¤ à¤à¤° à¤à¤¾à¤¤à¥à¤ हà¥à¤….
मà¥à¤ à¤à¥ सब à¤à¥à¤²à¤à¤°
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पà¥à¤°à¥à¤® मà¥à¤ à¤à¥à¤® à¤à¤ तॠहà¥à¤
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यहॠतॠतà¥à¤® à¤à¤¾à¤¹à¤¤à¥ हॠना,
मà¥à¤ बस तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पà¥à¤°à¥à¤® मà¥à¤ नाठà¤à¤ à¥à¤..
तà¥à¤® मà¥à¤¸à¥à¤à¥à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤¤à¥ हॠमà¥à¤à¤®à¥à¤
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पà¥à¤°à¥à¤® à¤à¥ बà¥à¤²à¥,à¤à¥à¤²à¤¾à¤¬, à¤à¤®à¥à¤²à¥..
फिर दà¥à¤¨à¥à¤ हॠमà¥à¤°-मà¥à¤°à¤¨à¥ à¤à¥à¤¸à¥,
à¤à¤¸ बारिश मà¥à¤,
पà¥à¤°à¥à¤® à¤à¥ बारिश मà¥à¤,
à¤à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¿à¤¤ हॠनाà¤à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤..
à¤à¥à¤à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤……
@p.m.@â
*बà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤*
वॠसà¥à¤à¥à¤² à¤à¥ दà¥à¤°,
पर माठसॠà¤à¥à¤¦ नहानॠà¤à¥ à¤à¤¿à¤¦
फिर शà¥à¤°à¥
साबà¥à¤¨ à¤à¥ फà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤²,,
वॠसà¤à¤à¤¾à¤² सà¤à¤à¤¾à¤² à¤à¥ फà¥à¤à¤à¤¨à¤¾
फà¥à¤¨à¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¬à¥à¤¬à¤¾à¤°à¥…..
à¤à¤¿ à¤à¤¬ तठà¤à¤ बड़ा फà¥à¤à¤ ना लà¥à¤….
फिर पड़ता था पà¥à¤ पर थपाठसॠà¤à¤,
माठà¤à¥ à¤à¤¾à¤° à¤à¤à¤à¤²à¤¿à¤¯à¥à¤ à¤à¥ थाप
à¤à¤° यà¥à¤à¤.. मà¥à¤à¥ मà¥à¤à¥ à¤à¤à¤¸à¥
ना ना यॠà¤à¤¸ थाप à¤à¥ नहà¥à¤
यॠतॠà¤à¤¸ बड़ॠफà¥à¤à¥à¤à¥ à¤à¥ फà¥à¤à¤¨à¥ सॠथॅ.
बहà¥à¤¤ याद à¤à¤¤à¥ हà¥à¤ बà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤…
सà¥à¤à¥à¤² सॠà¤à¤° à¤à¥ ठनà¥à¤¦à¤° à¤à¥,
à¤à¤¨à¤¾ नहà¥à¤ हॠपाता था à¤à¤¿-
रà¥à¤ à¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¡à¤¼à¤¤à¥ बाबा à¤à¤¾ à¤à¥à¤²
पहलॠतॠà¤à¤¡à¤¼à¥ मà¥à¤¹à¤¨à¤¤,
à¤à¤à¤-à¤à¤à¤ à¤à¥ पà¤à¤¡à¤¼à¤¨à¥à¤ मà¥à¤…
à¤à¤¤à¤¨à¥ हॠफिर फà¥à¤à¤ à¤à¤°
à¤à¤à¤à¤¾ à¤à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤…
à¤à¤£à¥à¤à¥à¤ à¤à¤² à¤à¤¾à¤¤à¤¾ था à¤à¥à¤²
à¤à¤¿à¤¤à¤¨à¤¾ ठलà¥à¤¹à¤¡à¤¼,पाà¤à¤²à¤ªà¤¨ सा बà¤à¤ªà¤¨..
सà¥,बहà¥à¤¤ याद à¤à¤¤à¥ हà¥à¤ बà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤…
à¤à¤¿à¤¤à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤® था तब,
à¤à¥à¤à¥-à¤à¥à¤à¥ बरतन मà¥à¤,
सबà¤à¤¾ à¤à¥à¤ ा-मà¥à¤ ा à¤à¤¾à¤¨à¤¾ बनाना……
फिर à¤à¥ बाबा à¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤¯à¤¾
था à¤à¥ तॠदादॠà¤à¥ हाथà¥à¤ बना..
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नà¥à¤¹ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¨à¤à¥ मà¥à¤ à¤à¤¦à¥ सॠथà¥..
ठठà¤à¥à¤²à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ à¤à¤¨à¤à¥, मà¥à¤ दादॠहॠथà¥..
ठब à¤à¥à¤ रहà¥à¤ हà¥à¤ à¤à¤¨ यादà¥à¤ मà¥à¤ à¤à¤à¤à¥à¤,
बहà¥à¤¤ याद ठरहà¥à¤ हà¥à¤ यॠबà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤..
वॠà¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ डाà¤à¤ मà¥à¤ à¤à¤ªà¤à¤¤à¥ à¤à¤à¤¸à¥,
à¤à¤° माठà¤à¥ à¤à¤à¤à¤² à¤à¤¾ à¤à¥à¤¨à¤¾,
नाराठहà¥à¤à¤° à¤à¤®à¥à¤¨ पॠलà¥à¤à¥à¤..
हमà¥à¤¶à¤¾ सà¥à¤¬à¤¹ ठपनॠबिसà¥à¤¤à¤° पॠहà¥à¤¨à¤¾………….
à¤à¤¤à¤¨à¥à¤ मà¥à¤ ॠना दिन हà¥à¤ ठब
ना मासà¥à¤® à¤à¤¤à¤¨à¥ à¤à¤à¥ हà¥à¤à¤à¥ रातà¥à¤.
सà¤!! बहà¥à¤¤ याद à¤à¤¤à¥ हॠठब यॠबà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤
यॠबà¤à¤ªà¤¨ à¤à¥ बातà¥à¤..
सà¥à¤¨à¥…
à¤à¤² तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ रà¥à¤à¥à¤ªà¤¨ à¤à¥ ठणà¥à¤¡ सà¥,
à¤à¤¾à¤à¤ªà¤¤à¥ रहॠपà¥à¤°à¥ दिन…
तà¥à¤® दà¥à¤ हॠलà¥à¤¤à¥ à¤à¤ बार
सॠà¤à¤ तॠà¤à¤ दफा,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ दिल à¤à¥ à¤à¤®à¤°à¥ मà¥à¤…
à¤à¥à¤¶à¤¿à¤¶ à¤à¥ à¤à¥………
à¤à¤¿ à¤à¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¨à¤ सà¥,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥ बà¥à¤² दà¥à¤ à¤à¤¿,
ठà¤à¥à¤à¥ नहà¥à¤ लà¤à¤¤à¥ यà¥à¤
रà¥à¤ à¥-रà¥à¤ ॠसॠतà¥à¤®…..
पर मà¥à¤°à¥ पà¥à¤¯à¤¾à¤° मà¥à¤ à¤à¤à¥,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ शरà¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤à¥ बà¤à¤¨ पर
नाराà¤à¤à¥ दिà¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¾,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥, à¤à¤¬ बहाना ढ़à¥à¤¢à¤¤à¥ दà¥à¤à¤¾..
तब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ पहलॠवालॠपà¥à¤¯à¤¾à¤° à¤à¥,
à¤à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¹à¤ à¤à¤°à¤¾ सà¥à¤µà¥à¤à¤° पहनà¤à¤°,
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ दिल à¤à¥ à¤à¤®à¤°à¥ सॠबाहर ठà¤à¤…..
@p.m.@â
महोदय ,
मेरी कविता कैसी लगी ,कृपा कर के बताएं ,
महोदय , ”मेरा देश मेरी धरती ”
क्या प्रकाशित हो सकती है, कृपया हमे बताएं..
प्रकाशनधिन है। जल्द ही ईमेल द्वारा सूचित किया जाएगा।
सादर!
प्रकाशन हेतु प्राप्त कविता के प्रकाशन सम्बंधी सूचना ईमेल द्वारा प्रदान की जाती है।
सादर!
safalata ka marg,aaj me aap ku safalata ke bare me batana chahata hu.ju yuva ladakeu ku apni padae me safalata nhi milati hai.unhe sym par bharosa hota hai.ki vah pepar ya nukari me pass ho jaege paranto safalata unke kadam nhi chumati hai.har bar asafalata milati hai.tu vah uas se gvarahe nhi,kahate hai n,”rasata kitana bhi bada hu ek_n din us manjil par pahuch jata hai jis par safalata aap ka entjaar kar rahi hai”aap apne kary ku lagatar karate rahe,aur mehnat karate rahe,jab tak aap ku apne kary me safalata nhi milati,
भाई मुझे भी अपनी ग़ज़ल आपकी वेबसाइट पे प्रकाशित करवानी है।
मैं अपनी ग़ज़ल आप तक कैसे भेजू।।editor_team@literatureinindia ये email invailid बता रहा है।
कृपया शीघ्र सूचित की कृपा करें।
अंत में .com भी जोड़ें।
महोदय,मैंने अपनी ग़ज़ल आपको भेजी है वो कब तक और कहा प्रकाशित होगी।
कृपया सूचित करने का कष्ट करें।
100 kavita hai to kya kru
महोदय,मैंने अपनी ग़ज़ल आपको भेजी है वो कब तक और कहा प्रकाशित होगी।
कृपया सूचित करने का कष्ट करें।
मान्यवर!
रचना प्राप्त होने के बाद प्रकाशनार्थ, प्रकाशन मंडल को प्रेषित की जाती है।
अगर रचना प्रकाशन योग्य सटीक होगी तो प्रकाशित की जाएगी, अन्यथा की स्थिति में ईमेल द्वारा सूचना प्रदान की जाएगी।
इस प्रक्रिया में 15-20 दिन का समय अपेक्षित है क्योंकि बाक़ी रचनाकारों से प्राप्त रचनाओं का आकलन आवश्यक है।
सबसे ज़रूरी सूचना यह कि रचना इसी वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी एवं उम्मीद है कि आपने इसी हेतु प्रेषित की है|
सादर!
लिटरेचर इन इंडिया टीम
मैंने एक कविता,आलोचक शीर्षक से भेजी है।
कृप्या बताएं की वो प्रकाशन के लायक है या नहीं।
G…sir maine apni ek rachna geet shirshak se aapko bheji h vo kb tk prakashit hogi aur agar yogy na ho to b suchit kre…maine apni photo aur parichay nhi likha h kya kru….
आदरणीय मैंने एक कविता भेजी है “बढे चलो- बढे चलो प्रचण्ड बेग से चलो” क़पया सादर प्रकाशनार्थ
सूचित करने की क़पा करें
सर नमस्कार
मै एक विधालय का छाञ हु जो विघालय मे हुई प्नतियोगिता मे प्नस्तुत कविता को आपकी पुस्तक मे प्नकाशित कराना चाहता हु
आपकी सहमति पर मैरा अगला विचार
धन्यवाद!
Contact:-7297992760
नाराज हो क्या हमसे,हमको ये बता दो न
जो खता हुई है हमसे,हमको ये जता दो न
ये दिल तो सिर्फ आपका है, ये हमारा वादा है
आप भी बता दो न, क्या आपका इरादा है
हमको अपने दिल मे बसा लो, ये दिल की चाहत है
आप ही बता दो न,क्या आपके दिल मे बसने की ईजाजत है
बृजेन्द्र कुशवाहा
गरौठा झाँसी
Sir me apni kavita prakashit karwana chahta hun kya karun ?
महोदय , मैन 25 नवंबर 2017 को ” महबूबा की विदाई ” उन्वान की एक ग़ज़ल आपको भेजी थी।उसके बारे में अभी तक मुझे कोई सूचना प्राप्त नही हुई।कृपया कुछ जानकारी देने का कष्ट करें ।
ठाकुर दीपक जी
नमस्कार!
महाशय मैं नियमित रूप से कविता लिख रहा हूँ ।
मेरी सभी कविताएं मौलिक एवं अप्रकाशित हैं।
मैं अपनी कविताएं प्रकाशन हेतु कैसे सम्प्रेषित करूं ?
कृपया मेरा मार्गदर्शन कराये।
महाशय,
नमस्कार!
मैं आज “लौट आओ बटोही” नामक एक कविता प्रकाशन हेतु भेजा है।कृपया प्रकाशन की सूचना दीजिए ।
〰〰〰〰〰〰〰〰
साथियो रेलवे में 10 साल नोकरी
करने पर अब मन हुआ गम्भीर।
〰〰〰〰〰〰〰〰
इस रेलवे में कर्मचारियों की
क्यूँ अलग अलग तकदीर।।
〰〰〰〰〰〰〰
किसी को बिन माँगे मोती
किसी की सुनवाई नही होती।
〰〰〰〰〰〰〰
रेलपथ वालो से ही लहराती है।✍,
स्वार्थी संगठनों की हरी भरी खेती।
〰〰〰〰〰〰〰〰
क्या सोच के सिस्टम ने ✍✍
बनाई ये दो वैरंग तस्वीर ।✍
〰〰〰〰〰〰〰
एक ही परीक्षा पास करने
वालो की क्यूँ लिखी अलग
अलग तकदीर।✍✍✍
〰〰〰〰〰〰〰
कुछ किस्मत वाले PP बन कर
टाई कोट का सुख अमृत पीते है।
कुछ ट्रैकमैन दिल पर पत्थर रख
कर जीवन अपना जीते है।
〰〰〰〰〰〰〰
तपती दोपहरी में काम करें
फिर भी अपमानित से जीते है।
ट्रैफिक और कॉमर्शियल वालो
के मन का पंछी आकाश उड़े✍
फिर ट्रैकमैन पैरो में 20
किलोमीटर की पेट्रोलिंग
पांवो में जँझिर बने।।✍
➰➰➰➰➰➰➰➰➰
आपका साथी
🌷चेतराम मीणा🌷
🌷भरुच वड़ोदरा🌷
Sir main kabita likha hu mujhe aapse margdarshan chahiye
मै एक सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन को लेकर उपवास कर लखनऊ मे आन्दोलन मे सहभागिता की कोशिश की थी ।और सूचना के अधिकार अधिनियम के लागू होने से पहले ही सूचना के अधिकार के आन्दोलन की कोशिश भरावन हरदोई मे किया था उस समय अरविंद केजरीवाल जी भी मेरे घर चाय पर जाकर मेरे जमीनी स्तर के संघर्ष को महत्व दिया था ।उसके बाद से मैने सूचना के अधिकार अधिनियम को लेकर आन्दोलन करने रहा हूॅ ।अभी गांव गाॅव जाकर सूचना के अधिकार की चौपाल लगाकर रहा हूॅ ।और सामूहिक सूचना के आवेदन लगाते हैं ।अभी हाल मे ही भरावन हरदोई मे सांसद अंजू बाला लोक सभा क्षेत्र मिश्रिख से सूचना माॅगी है ।
मुझे डर नहीं है
एक दिन तो,
सबको जाना है,
पर शायद मुझे,
कुछ जल्दी जाना है,
मुझे डर नहीं है,
मेरे जाने का…
मुझे डर है,
मेरे पिता के रोने का,
मुझे डर है,
मेरी मम्मी के दुखी होने का,
मुझे डर है,
मेरे भाई के सहम जाने का,
पर मुझे डर नही है,
मेरे जाने का…
आखिर मेरे बाद,
कौन मेरे पिता को हँसाएगा?
एक मैं ही तो हूँ,
जो उनके चेहरे पर मुस्कान लाए,
आखिर मेरे बाद,
कौन रात-भर मेरी मम्मी से बतलाएगा?
एक मैं ही तो हूँ,
जो रात-भर मम्मी से बतलाती हूँ,
आखिर मेरे बाद,
कौन मेरे भाई को,
बार-बार पढने की याद दिलाएगा?
एक मैं ही तो हूँ,
जो बार-बार भाई को पढने के
लिए कहती हूँ,
आखिर मेरे बाद,
कौन इन्हें खुश रख पाएगा?
मुझे डर नही है,
मेरे जाने का…
मुझे डर नहीं है,
मेरे जाने का…
Nice..
मैं उभरती कलम नाम से कविताएं लिखता हूँ।उभरती कलम मेरी रचनाओ का संकलन है।मैं आपके माध्यम से अपनी रचनाओं को अमर करना चाहता हूं।कृपया उचित मार्गदर्शन करें।
धन्यवाद
मातृत्व शर्मसार है
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जिस नारी ने जन्म दिया
उसी नारी को नोच रहे
मातृत्व शर्मसार है
भेड़ियों को क्यों जन्म दिए,
हैवान इतना हावी की
बच्चियों में यौवन खोज रहे
मातृत्व शर्मसार है
कोख को क्यों नही नोच दिए,
क्या छप्पन क्या दो माह
सभी पे निगाह निचोड़ रहे
जिस छाती से दूध पिया
उसी के कपड़े खींच रहे
बहने भी शर्मसार हुई
किन हाथों पे राखी धरे
रक्षक भक्षक सेवक राजा
साधु विलासिता भोग रहे
चोर उचक्के संत और राजा
राजत्व के भोग भोग रहे
गांव गली शहर मुहल्ले
भेड़िये सब ओर विचर रहे
कहाँ सुरक्षित अबला नारी
घरों में इज्जत लूट रहें
सुनो नारी छोड़ो अब लज्जा
दुर्गा काली के रूप धरें
उठा खड्ग कर दे हमला तू
फूलन से कुछ सीख प्रिये
छोड़ मोह उस बाप भाई का
जिसने अस्मत पर हस्त धरे
उठा अस्त्र काट दे हाथों को
जिसपे तुमने राखी धरे।।।
From
उभरती कलम
By
जय प्रकाश श्रीवास्तव
सिर्फ़ अपनी झूठी शान दिखाते हैं लोग
दिल छोटा रखते हैं
इमारत बडी बनाते हैं लोग
नफ़रत दिल मे है
प्यार जताते है लोग
अपने सच से हैं बेख़बर
ओरो को आईना दिखाते हैं लोग
बेचकर ज़मीर अपना
नाम कमाते हैं लोग
ज़ख्म पे मरहम लगाते हैं
बाद में तमाशा बनाते हैं लोग
सब अपने मतलब से चलते हैं
रास्ता कहाँ बताते है लोग
जीते जी “जीने नही देते”
मर जाने पे आंसू बहाते हैं लोग ।
(राजनंदिनी राजपूत)-राजस्थान, ब्यावर
बहुत ही सुंदर लिखा है आपने।
Very good
यह मेरे द्वारा लिखी गई ग़ज़ल हैं, कृपया
प्रकाशित होने की सुचना ईमेल द्वारा दे ।
सिर्फ़ अपनी झूठी शान दिखाते हैं लोग
दिल छोटा रखते हैं
इमारत बडी बनाते हैं लोग
नफ़रत दिल मे है
प्यार जताते है लोग
अपने सच से हैं बेख़बर
ओरो को आईना दिखाते हैं लोग
बेचकर ज़मीर अपना
नाम कमाते हैं लोग
ज़ख्म पे मरहम लगाते हैं
बाद में तमाशा बनाते हैं लोग
सब अपने मतलब से चलते हैं
रास्ता कहाँ बताते है लोग
जीते जी “जीने नही देते”
मर जाने पे आंसू बहाते हैं लोग ।
(राजनंदिनी राजपूत)-राजस्थान, ब्यावर
राजा ब्राह्मण वैश्या कवि नट और भट्ट ।
इनसे कपट न कीजिये इनके रचे कपट ।।
दिल की आरजू
दिल की आरजू
सफनो सी जगी मेरी आरजू
अपनो सी जगी मेरी आरजू
लोगो से जगी मेरी आरजू
…….बस मेरी दिल की आरजू
गहरे पनो में जगी वो आरजू
लहरो के किनारे जगी वो आरजू
मन के एहसास मै बेठी वो आरजू
…………बस मेरे दिल की आरजू
पनो मे लिखना एक आरजू
सफनो में सजाना एक आरजू
पलको में बसाना एक आरजू
………..बस मेरे दिल की आरजू
जनतो की सजावट आरजू
खाव्बो की रोनक आरजू
दिल की बात आरजू
……बस मेरे दिल की आरजू
प्यारी मुस्कान दे जा….
sumit singh
सर मैंने एक रचना मनोरमा नदिया के नाम से भेजी हैं कृपया प्रकाशित होने की सूचना ई मेल से दें
Respected sir
Main sachi gathnao ko lekar kahani likhta hu pls mujhe bataye ki apni kahaniya publish kese kare.
बहुत सही
बहुत सही
आदरणीय महोदय,
लोग रास्ता पर चलता है। रास्ता पर चलते चलते कांटे भी चुभ सकते हैं। परिणामस्वरूप दर्द होंगे। दर्द सहते हुए अगर कोई कुछ कदम आगे बढता है तो उसे अपने प्रयासों के लिए शाबशी मिलता है। क्या साहित्य कांटे की चुभन को सहते हुए अपनी छत्रछाया में किसी साहित्य के क्षेत्र में नवागन्तुक को शरण नहीं दे सकता? यदि संभव है तो सरल तरीका बताकर कृतार्थ करें।
Hello sir mai apni kvita ko prkashit krna chahta hu plz link bhej dijie sir
Hello sir mai apni kvita ko prkashit krna chahta hu plz link bhej dijie sir
कृपया रचना editor_team@literatureinindia.com पर भेजें।