अपनी उत्कृष्ट रचना ; एक छायाचित्र एवं संक्षिप्त विवरण के साथ हमें निम्लिखित पते पर भेजें –

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महत्वपूर्ण सूचना: २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशनार्थ पंक्तिबद्ध होने के कारण दिसंबर माह तक कोई भी नई रचना प्रकाशनार्थ स्वीकार नहीं की जा सकेगी| आपको हुई असुविधा हेतु खेद है|

नोट:

  • रचना प्रकाशनार्थ प्राप्त होने के उपरांत प्रकाशन हेतु विचाराधीन रहेगी| प्रकाशन हेतु सहमति के पश्चात रचना को literatureinindia.in पर प्रकाशित किया जायेगा|
  • प्राप्त रचनाओं की संख्या अधिक होने के कारण इस पूरी प्रक्रिया में 15-20 दिन का समय अपेक्षित है|

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  1. कृपया मेरी 3 ग़ज़लें प्रकाशित करने का कष्ट करें।
    धन्यवाद!

  2. क्या आप नेरे फेसबुक पर प्रकाशित या मेरे ब्लॉग से ली गयी रचना स्वीकार करेंगे ?

  3. महोदय ! क्या हम आपको अपनी ३ रचनाएँ प्रकाशन हेतु भेज सकते हैं?

  4. महोदय ! हमने कल ही आपको अपनी ३ रचनाएँ प्रकाशन हेतु भेजी हैं, २ ग़ज़लें ,१ कविता . आप इनको कब और कहाँ प्रकाशित करेंगे ? कृपया बताने का कष्ट करें. और एक तस्वीर भी इ-मेल द्वारा कल ही भेजी है. आशा है आपको मिल गयी होगी.
    धन्यवाद !

  5. महोदय ! प्रणाम ! आप मेरी रचनाएँ कब प्रकाशित करोगे ,और कहाँ प्रकाशित करोगे ? क्या मुझे इसकी पूर्व-सूचना मिलेगी?

  6. आदरणीय महोदय ,आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ,जो आपने मेरी ग़ज़ल को अपनी इ- पत्रिका में प्रकाशित कर मुझे उत्साहित किया . मगर मेरी बाकी २ रचनाएँ कहाँ है ? मैने आपको ३ रचनाएँ भेजी थी. . बस यही जानना चाहती हूँ.

  7. अपनी रचनाऐं हिंदी फॉन्ट में ही भेजनी हैं या हिंदी कन्वर्शन द्वारा भी भेजी जा सकती हैं ?

  8. मैने आपको अपनी कविता भेज दी हैं। अब आगे की प्रक्रिया आप करे जो भी परिणाम हो आप मुझें जरूर सूचित करे।
    धन्यवाद

  9. मैने आपको अपनी कविता भेज दी हैं। अब आगे की प्रक्रिया आप करे जो भी परिणाम हो आप मुझें जरूर सूचित करे।
    धन्यवाद!

  10. क्या रचनाएँ यह प्रकाशित होने के बाद पुस्तक छापेगी कृर्पा उत्तर दे

  11. मेरी कविता कतनी प्राप्त किये है आप कृपया
    मुझे सुचिता करे

  12. क्या मेरी कविता प्रकाशित की है कृपया मुझे
    मेरे ईमेल सुचित करे ccp.kadipur@gmail.com
    मेरी कविता प्रकाशित करे

  13. मै शिवम गौतम पिता का नाम -राम केवल
    माता का नाम-साबित्री देवी पता-कालिकापुर पोस्ट-हमजापुर पठान तसील- कादीपुर जिला-सुल्तानपुर
    मै कविता प्रकाशित हेतु भेजा था वह कब प्रकाशित होगी कृपया सुचिता करे
    कृयया कर के मेरे ईमेल पते पर भेजे
    अगर मेरी वाणी आप तक पहुची है
    तो थोडा कष्ट करे||

    ( प्रणाम )

    1. प्रिय शिवम,

      नमस्कार!

      आपको यह सूचित करना है कि प्रकाशन मंडल ने आपकी रचनाओं को प्रकाशन हेतु सहमति प्रदान नहीं की है, इस हेतु हमें खेद है|

      आप रचनाकारों को पढ़ें और बेहतर रचना हेतु प्रयास करे, आप हमें अपनी उत्तम रचना के साथ फिर मिले, हम यही आशा करते है|

      हम उम्मीद करते है कि आप निराश नहीं होंगे बल्कि और बेहतर रचने हेतु प्रयासरत रहेंगे|

      शुभकामनाओं सहित,

  14. मान्यवर

    मेरी कविता कब और कहा पृकासित होगी
    बताने का कष्ट करे

    आपकी अति कृपा होगी

  15. में आबिद हुसैन शैख / पीर मोहम्मद शैख
    सर, मेने कुछ रचनाए आपको भेजी थी क्या उनमे से कोई प्रकाशित हुई
    pls मुझे बताए ।

  16. महोदय ,
    मैंने अज्ञातवश एक साथ 8 कविताये भेज दी है।
    मुझे बाद में पता चला कि 1 माह में 3 कविता से ज्यादा नही भेजना होता है।
    कृपया करके आप मेरा पथ प्रदर्शित करें।

    1. एक बार, ईमेल के विषय में अपना पूरा नाम लिखे| ताकि आप द्वारा भेजी गयी रचनाओं हेतु भविष्य में आपसे छायाचित्र हेतु अनुरोध करने की आवश्यकता न हो|

      सादर!

  17. महोदय ,
    मैंने अपनी कविता literaturepoint@gmail.com पर दी थी।
    आज मुझे रिप्लाई मिला है कि
    हम आपकी किसी भी कविता का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
    उपयोग नहीं कर पा रहे हैं का क्या मतलब है सर, मेरी कविता आप को पसंद नही आई।

  18. महोदय, मैने आपको तीन मौलिक रचनाएं भेजी हैं।तथा वो रचनाए आपको पसंद आयी या नही। कृपया आप टिप्पणी जरूर करे।

  19. महोदय, रचनाएं प्रेषित की गई हैं ,कृपया बताने का कष्ट करें की उन रचनाओं का लिट्ट्रेचर इन इंडिया में क्या भविष्य है।सधन्यवाद ।

  20. श्रीमान,
    मैंने कहानी भेजी थी। मेरी कहानी कब और कहाँ प्रकाशित होगी। कृपा करके बताये।

  21. सर मेने कविता जो भेजी थी क्या वो योग्य नही है
    कृपया मुझे जानकारी दे

  22. मान्यवर मेरी कहानी कब और कहा प्रकाशित हुई है ।
    कृपया बताने का कृपा करें।

  23. महोदय जी एक रचना अभी फाम॔ भर कर भेजी ।अतः रचना प्रप्ती व उसके संबंध में जानकारी देने का कष्ट करे ।रचना मौलिक तैयार की गई है ।सधन्यवाद ।

  24. महोदय जी एक गीत अभी फाम॔ भर कर भेजा।अतः गीत प्राप्ती व उसके संबंध में जानकारी देने का कष्ट करे
    धन्यवाद ।

  25. महोदय जी मेरा गीत कब प्रकाशित होगा
    pls मुझे बताएँ

    1. प्रिय आबिद जी! प्रत्येक रचना का प्रकाशनाधिकार प्रकाशन मंडल के पास सुरक्षित है। रचना प्राप्ति के बाद विचार-विमर्श के उपरांत प्रकाशन सम्बंधी निर्णय लिया जाता है। प्रत्येक रचना प्रकाशित हो, यह ज़रूरी नहीं है…न ही न्यायसंगत है। हम प्रकाशित न होने पर एक स्मारक रचनाकार को ईमेल के माध्यम से भेजते है।

      रचना प्रकाशित होने पर स्वयं जालपत्रिका एवं फ़ेसबुक/ट्विटर के माध्यम से सूचना प्राप्त की जा सकती है।

      facebook.com/literatureinindia
      twitter.com/LiteratureIN

      सादर!

  26. महोदय ,
    मेरी कहानी कब प्रकाशित होगी।
    मुझे बताने की कृपा करें।

      1. महोदय ,
        मेरी कहानी ( अपराधी कौन?) कब तक प्रकाशित होगी?

    1. दिनेश जी!

      लिटरेचर इन इंडिया में सम्पर्क हेतु आभार!

      फ़िलहाल हम वेब पर प्रकाशन करते है, अतः अभी आय वितरण सम्बंधी कोई योजना प्रगतिशील नहीं हैं।

      भविष्य में अगर इस तरह की कोई योजना हमारी टीम द्वारा स्वीकृत की जाएगी तो हम आपको विभिन्न सामाजिक माध्यमों एवं व्यक्तिगत रूप से अवश्य अवगत कराएँगे।

      सादर!

  27. मेरी रचना के प्रकाशन होने से सम्बंधित मेल प्राप्त हुआ।
    धन्यवाद !
    क्या मुझे यह जानकारी मिलेगी कि मेरी रचना कहाँ प्रकाशित हुई है।

      1. बारिश
        इन बरसती बूँदों को,
        तुम बारिश कहते हो..
        मेरे शब्दकोश में इसे
        ‘प्रेम’ कहते हैं…

        जब ये बरसता है
        मैं अपने आंगन में जाकर
        तुम्हारे प्रेम में बस
        भीगती ही जाती हूँ……

        पैरों में ना जानें कहाँ से
        नूपुर की झंकार,
        हांथों में,तुम्हारे प्रेम में रंगी,
        लाल-हरी चूड़ियाँ
        एक शोर उठा लेती हैं…

        तुम्हारे प्रेम की बूँदें,
        सब तुम्हारी अठखेलियाँ सीख
        मेरे बंधे बालों को खोलकर
        शरारतें कर जातीं हैं….

        मैं भी सब भूलकर
        तुम्हारे प्रेम में झूम उठती हूँ
        नाच उठती हूँ…
        यही तो तुम चाहते हो ना,
        मैं बस तुम्हारे प्रेम में नाच उठूँ..

        तुम मुस्कुरा जाते हो मुझमें
        और बरसाने लगते हो,
        प्रेम के बेले,गुलाब, चमेली..
        फिर दोनों ही मोर-मोरनी जैसे,
        इस बारिश में,
        प्रेम की बारिश में,
        आनन्दित हो नाचते जाते हैं..
        भीगते जाते हैं……

        @p.m.@✍

      2. *बचपन की बातें*

        वो स्कूल की देर,
        पर माँ से खुद नहाने की जिद
        फिर शुरू
        साबुन के फेने का खेल,,
        वो संभाल संभाल के फूँकना
        फेनों के गुब्बारे…..
        कि जब तक एक बड़ा फूँक ना लूँ….
        फिर पड़ता था पीठपर थपाक से एक,
        माँ की चार उंगलियों की थाप
        और येएए.. मोटे मोटे आंसू
        ना ना ये उस थाप के नहीं
        ये तो उस बड़े फुग्गे के फूटने से थे….

        बहुत याद आती हैं बचपन की बातें…

        स्कूल से घर के अन्दर भी,
        आना नहीं हो पाता था कि-
        रूई जैसे उड़ते बाबा का खेल
        पहले तो कड़ी मेहनत,
        उचक-उचक के पकड़नें में…
        उतनी ही फिर फूँक कर
        ऊँचा उड़ाना उन्हें…
        घण्टों चल जाता था खेल

        कितना अल्हड़,पागलपन सा बचपन..
        सो,बहुत याद आती हैं बचपन की बातें…

        कितना काम था तब,
        छोटे-छोटे बरतन में,
        सबका झूठा-मूठा खाना बनाना……
        फिर भी बाबा को स्वाद आया
        था भी तो दादी के हाथों बना..
        दादी नहीं समझे???
        नेह की जिनकी मैं आदी सी थी..
        अठखेलियों में उनकी, मैं दादी ही थी..

        अब भीग रहीं हैं इन यादें में आंखें,
        बहुत याद आ रहीं हैं ये बचपन की बातें..

        वो किसी की डांट में टपकते आंसू,
        और माँ के आंचल का कोना,
        नाराज होकर जमीन पे लेटूँ..
        हमेशा सुबह अपने बिस्तर पे होना………….

        इतनें मीठे ना दिन हैं अब
        ना मासूम इतनी कभी होंगी रातें.
        सच!! बहुत याद आती है अब ये बचपन की बातें
        ये बचपन की बातें..

      3. सुनो…
        कल तुम्हारे रूखेपन की ठण्ड से,
        कांपती रही पूरे दिन…
        तुम देख ही लेते एक बार
        सो आई तो कई दफा,
        तुम्हारे दिल के कमरे में…

        कोशिश भी की………

        कि चूड़ियों की खनक से,
        तुम्हे बोल दूँ कि,
        अच्छे नहीं लगते यूँ
        रूठे-रूठे से तुम…..
        पर मेरे प्यार में टकी,
        तुम्हारे शर्ट की टूटी बटन पर
        नाराजगी दिखाने का,
        तुम्हे, जब बहाना ढ़ूढते देखा..
        तब तुम्हारे पहले वाले प्यार की,
        गर्माहट भरा स्वेटर पहनकर,
        तुम्हारे दिल के कमरे से बाहर आ गई…..

        @p.m.@✍

  28. महोदय ,
    मेरी कविता कैसी लगी ,कृपा कर के बताएं ,

    1. महोदय , ”मेरा देश मेरी धरती ”
      क्या प्रकाशित हो सकती है, कृपया हमे बताएं..

  29. safalata ka marg,aaj me aap ku safalata ke bare me batana chahata hu.ju yuva ladakeu ku apni padae me safalata nhi milati hai.unhe sym par bharosa hota hai.ki vah pepar ya nukari me pass ho jaege paranto safalata unke kadam nhi chumati hai.har bar asafalata milati hai.tu vah uas se gvarahe nhi,kahate hai n,”rasata kitana bhi bada hu ek_n din us manjil par pahuch jata hai jis par safalata aap ka entjaar kar rahi hai”aap apne kary ku lagatar karate rahe,aur mehnat karate rahe,jab tak aap ku apne kary me safalata nhi milati,

  30. भाई मुझे भी अपनी ग़ज़ल आपकी वेबसाइट पे प्रकाशित करवानी है।
    मैं अपनी ग़ज़ल आप तक कैसे भेजू।।editor_team@literatureinindia ये email invailid बता रहा है।
    कृपया शीघ्र सूचित की कृपा करें।

      1. महोदय,मैंने अपनी ग़ज़ल आपको भेजी है वो कब तक और कहा प्रकाशित होगी।
        कृपया सूचित करने का कष्ट करें।

  31. महोदय,मैंने अपनी ग़ज़ल आपको भेजी है वो कब तक और कहा प्रकाशित होगी।
    कृपया सूचित करने का कष्ट करें।

    1. मान्यवर!

      रचना प्राप्त होने के बाद प्रकाशनार्थ, प्रकाशन मंडल को प्रेषित की जाती है।

      अगर रचना प्रकाशन योग्य सटीक होगी तो प्रकाशित की जाएगी, अन्यथा की स्थिति में ईमेल द्वारा सूचना प्रदान की जाएगी।

      इस प्रक्रिया में 15-20 दिन का समय अपेक्षित है क्योंकि बाक़ी रचनाकारों से प्राप्त रचनाओं का आकलन आवश्यक है।

      सबसे ज़रूरी सूचना यह कि रचना इसी वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी एवं उम्मीद है कि आपने इसी हेतु प्रेषित की है|

      सादर!
      लिटरेचर इन इंडिया टीम

  32. मैंने एक कविता,आलोचक शीर्षक से भेजी है।
    कृप्या बताएं की वो प्रकाशन के लायक है या नहीं।

  33. G…sir maine apni ek rachna geet shirshak se aapko bheji h vo kb tk prakashit hogi aur agar yogy na ho to b suchit kre…maine apni photo aur parichay nhi likha h kya kru….

  34. आदरणीय मैंने एक कविता भेजी है “बढे चलो- बढे चलो प्रचण्‍ड बेग से चलो” क़पया सादर प्रकाशनार्थ
    सूचित करने की क़पा करें

  35. सर नमस्कार
    मै एक विधालय का छाञ हु जो विघालय मे हुई प्नतियोगिता मे प्नस्तुत कविता को आपकी पुस्तक मे प्नकाशित कराना चाहता हु
    आपकी सहमति पर मैरा अगला विचार
    धन्यवाद!
    Contact:-7297992760

  36. नाराज हो क्या हमसे,हमको ये बता दो न
    जो खता हुई है हमसे,हमको ये जता दो न
    ये दिल तो सिर्फ आपका है, ये हमारा वादा है
    आप भी बता दो न, क्या आपका इरादा है
    हमको अपने दिल मे बसा लो, ये दिल की चाहत है
    आप ही बता दो न,क्या आपके दिल मे बसने की ईजाजत है

    बृजेन्द्र कुशवाहा
    गरौठा झाँसी

  37. महोदय , मैन 25 नवंबर 2017 को ” महबूबा की विदाई ” उन्वान की एक ग़ज़ल आपको भेजी थी।उसके बारे में अभी तक मुझे कोई सूचना प्राप्त नही हुई।कृपया कुछ जानकारी देने का कष्ट करें ।

  38. ठाकुर दीपक जी
    नमस्कार!
    महाशय मैं नियमित रूप से कविता लिख रहा हूँ ।
    मेरी सभी कविताएं मौलिक एवं अप्रकाशित हैं।
    मैं अपनी कविताएं प्रकाशन हेतु कैसे सम्प्रेषित करूं ?
    कृपया मेरा मार्गदर्शन कराये।

    1. महाशय,
      नमस्कार!
      मैं आज “लौट आओ बटोही” नामक एक कविता प्रकाशन हेतु भेजा है।कृपया प्रकाशन की सूचना दीजिए ।

  39. 〰〰〰〰〰〰〰〰
    साथियो रेलवे में 10 साल नोकरी
    करने पर अब मन हुआ गम्भीर।
    〰〰〰〰〰〰〰〰
    इस रेलवे में कर्मचारियों की
    क्यूँ अलग अलग तकदीर।।
    〰〰〰〰〰〰〰
    किसी को बिन माँगे मोती
    किसी की सुनवाई नही होती।
    〰〰〰〰〰〰〰
    रेलपथ वालो से ही लहराती है।✍,
    स्वार्थी संगठनों की हरी भरी खेती।
    〰〰〰〰〰〰〰〰
    क्या सोच के सिस्टम ने ✍✍
    बनाई ये दो वैरंग तस्वीर ।✍
    〰〰〰〰〰〰〰
    एक ही परीक्षा पास करने
    वालो की क्यूँ लिखी अलग
    अलग तकदीर।✍✍✍
    〰〰〰〰〰〰〰
    कुछ किस्मत वाले PP बन कर
    टाई कोट का सुख अमृत पीते है।
    कुछ ट्रैकमैन दिल पर पत्थर रख
    कर जीवन अपना जीते है।
    〰〰〰〰〰〰〰
    तपती दोपहरी में काम करें
    फिर भी अपमानित से जीते है।
    ट्रैफिक और कॉमर्शियल वालो
    के मन का पंछी आकाश उड़े✍
    फिर ट्रैकमैन पैरो में 20
    किलोमीटर की पेट्रोलिंग
    पांवो में जँझिर बने।।✍
    ➰➰➰➰➰➰➰➰➰
    आपका साथी
    🌷चेतराम मीणा🌷
    🌷भरुच वड़ोदरा🌷

  40. user-imageमुन्ना लाल शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता says:

    मै एक सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन को लेकर उपवास कर लखनऊ मे आन्दोलन मे सहभागिता की कोशिश की थी ।और सूचना के अधिकार अधिनियम के लागू होने से पहले ही सूचना के अधिकार के आन्दोलन की कोशिश भरावन हरदोई मे किया था उस समय अरविंद केजरीवाल जी भी मेरे घर चाय पर जाकर मेरे जमीनी स्तर के संघर्ष को महत्व दिया था ।उसके बाद से मैने सूचना के अधिकार अधिनियम को लेकर आन्दोलन करने रहा हूॅ ।अभी गांव गाॅव जाकर सूचना के अधिकार की चौपाल लगाकर रहा हूॅ ।और सामूहिक सूचना के आवेदन लगाते हैं ।अभी हाल मे ही भरावन हरदोई मे सांसद अंजू बाला लोक सभा क्षेत्र मिश्रिख से सूचना माॅगी है ।

  41. मुझे डर नहीं है
    एक दिन तो,
    सबको जाना है,
    पर शायद मुझे,
    कुछ जल्दी जाना है,
    मुझे डर नहीं है,
    मेरे जाने का…
    मुझे डर है,
    मेरे पिता के रोने का,
    मुझे डर है,
    मेरी मम्मी के दुखी होने का,
    मुझे डर है,
    मेरे भाई के सहम जाने का,
    पर मुझे डर नही है,
    मेरे जाने का…
    आखिर मेरे बाद,
    कौन मेरे पिता को हँसाएगा?
    एक मैं ही तो हूँ,
    जो उनके चेहरे पर मुस्कान लाए,
    आखिर मेरे बाद,
    कौन रात-भर मेरी मम्मी से बतलाएगा?
    एक मैं ही तो हूँ,
    जो रात-भर मम्मी से बतलाती हूँ,
    आखिर मेरे बाद,
    कौन मेरे भाई को,
    बार-बार पढने की याद दिलाएगा?
    एक मैं ही तो हूँ,
    जो बार-बार भाई को पढने के
    लिए कहती हूँ,
    आखिर मेरे बाद,
    कौन इन्हें खुश रख पाएगा?
    मुझे डर नही है,
    मेरे जाने का…
    मुझे डर नहीं है,
    मेरे जाने का…

  42. मैं उभरती कलम नाम से कविताएं लिखता हूँ।उभरती कलम मेरी रचनाओ का संकलन है।मैं आपके माध्यम से अपनी रचनाओं को अमर करना चाहता हूं।कृपया उचित मार्गदर्शन करें।
    धन्यवाद

  43. मातृत्व शर्मसार है
    **************
    जिस नारी ने जन्म दिया
    उसी नारी को नोच रहे
    मातृत्व शर्मसार है
    भेड़ियों को क्यों जन्म दिए,
    हैवान इतना हावी की
    बच्चियों में यौवन खोज रहे
    मातृत्व शर्मसार है
    कोख को क्यों नही नोच दिए,
    क्या छप्पन क्या दो माह
    सभी पे निगाह निचोड़ रहे
    जिस छाती से दूध पिया
    उसी के कपड़े खींच रहे
    बहने भी शर्मसार हुई
    किन हाथों पे राखी धरे
    रक्षक भक्षक सेवक राजा
    साधु विलासिता भोग रहे
    चोर उचक्के संत और राजा
    राजत्व के भोग भोग रहे
    गांव गली शहर मुहल्ले
    भेड़िये सब ओर विचर रहे
    कहाँ सुरक्षित अबला नारी
    घरों में इज्जत लूट रहें
    सुनो नारी छोड़ो अब लज्जा
    दुर्गा काली के रूप धरें
    उठा खड्ग कर दे हमला तू
    फूलन से कुछ सीख प्रिये
    छोड़ मोह उस बाप भाई का
    जिसने अस्मत पर हस्त धरे
    उठा अस्त्र काट दे हाथों को
    जिसपे तुमने राखी धरे।।।

    From
    उभरती कलम
    By
    जय प्रकाश श्रीवास्तव

  44. सिर्फ़ अपनी झूठी शान दिखाते हैं लोग

    दिल छोटा रखते हैं
    इमारत बडी बनाते हैं लोग

    नफ़रत दिल मे है
    प्यार जताते है लोग

    अपने सच से हैं बेख़बर
    ओरो को आईना दिखाते हैं लोग

    बेचकर ज़मीर अपना
    नाम कमाते हैं लोग

    ज़ख्म पे मरहम लगाते हैं
    बाद में तमाशा बनाते हैं लोग

    सब अपने मतलब से चलते हैं
    रास्ता कहाँ बताते है लोग

    जीते जी “जीने नही देते”
    मर जाने पे आंसू बहाते हैं लोग ।

    (राजनंदिनी राजपूत)-राजस्थान, ब्यावर

  45. यह मेरे द्वारा लिखी गई ग़ज़ल हैं, कृपया
    प्रकाशित होने की सुचना ईमेल द्वारा दे ।

    1. सिर्फ़ अपनी झूठी शान दिखाते हैं लोग

      दिल छोटा रखते हैं
      इमारत बडी बनाते हैं लोग

      नफ़रत दिल मे है
      प्यार जताते है लोग

      अपने सच से हैं बेख़बर
      ओरो को आईना दिखाते हैं लोग

      बेचकर ज़मीर अपना
      नाम कमाते हैं लोग

      ज़ख्म पे मरहम लगाते हैं
      बाद में तमाशा बनाते हैं लोग

      सब अपने मतलब से चलते हैं
      रास्ता कहाँ बताते है लोग

      जीते जी “जीने नही देते”
      मर जाने पे आंसू बहाते हैं लोग ।

      (राजनंदिनी राजपूत)-राजस्थान, ब्यावर

  46. राजा ब्राह्मण वैश्या कवि नट और भट्ट ।
    इनसे कपट न कीजिये इनके रचे कपट ।।

  47. दिल की आरजू
    सफनो सी जगी मेरी आरजू
    अपनो सी जगी मेरी आरजू
    लोगो से जगी मेरी आरजू
    …….बस मेरी दिल की आरजू

    गहरे पनो में जगी वो आरजू
    लहरो के किनारे जगी वो आरजू
    मन के एहसास मै बेठी वो आरजू
    …………बस मेरे दिल की आरजू

    पनो मे लिखना एक आरजू
    सफनो में सजाना एक आरजू
    पलको में बसाना एक आरजू
    ………..बस मेरे दिल की आरजू

    जनतो की सजावट आरजू
    खाव्बो की रोनक आरजू
    दिल की बात आरजू
    ……बस मेरे दिल की आरजू
    प्यारी मुस्कान दे जा….
    sumit singh

  48. सर मैंने एक रचना मनोरमा नदिया के नाम से भेजी हैं कृपया प्रकाशित होने की सूचना ई मेल से दें

  49. आदरणीय महोदय,
    लोग रास्ता पर चलता है। रास्ता पर चलते चलते कांटे भी चुभ सकते हैं। परिणामस्वरूप दर्द होंगे। दर्द सहते हुए अगर कोई कुछ कदम आगे बढता है तो उसे अपने प्रयासों के लिए शाबशी मिलता है। क्या साहित्य कांटे की चुभन को सहते हुए अपनी छत्रछाया में किसी साहित्य के क्षेत्र में नवागन्तुक को शरण नहीं दे सकता? यदि संभव है तो सरल तरीका बताकर कृतार्थ करें।

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