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लिटरेचर इन इंडिया
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इस हफ़्ते
सहसा मैं काफी गंभीर था, जैसा कि उस व्यक्ति को हो जाना चाहिए, जिस पर एक भारी दायित्व आ गया हो। वह सामने खड़ा था और आँखों को बुरी तरह मटका रहा था। बारह-तेरह वर्ष की उम्र। ठिगना शरीर, गोरा रंग और चपटा मुँह। वह सफेद नेकर, आधी बाँह की ही सफेद कमीज और भूरे […]
भूले-बिसरे रचनाकार : अरुणा सीतेश डा. अरुणा सीतेश जानी-मानी कथाकार थी। चांद भी अकेला है, वही सपने, कोई एक अधूरापन, लक्ष्मण रेखा और छलांग उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। डॉ॰ अरुणा सीतेश (३१ अक्टूबर १९४५-१९ नवंबर २००७) हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार थीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से १९६५ में अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और […]
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल साहित्येतिहास वह साहित्यिक विधा है जो हमें मानवता के क्रमिक विकास से परिचित कराती है तथा यह ज्ञान की वह शाखा है जिसमें युग चेतना और साहित्य चेतना का अनिवार्य योग होता है। इतिहास नामों की तालिका-मात्र नहीं है। वह घटनाओं और तिथियों की भी सूची मात्र नहीं है और साहित्यिक इतिहास […]
कविता
जो भी कमज़ोर हैं मुश्किलों में हैं सब सियासतदारों ने तो मुँह हैं उधर कर लिया किससे बोले अब हम किसको बताएँ ये सब दिलों के कोनों में सियासत ने ज़हर भर दिया काफी मुद्दत से जो न हम कह सके उससे हमको ही उसने बेख़बर कर दिया अब लिखते
उमंगों भरा दिल किसी का न टूटे। पलट जायँ पासे मगर जुग न फूटे। कभी संग निज संगियों का न छूटे। हमारा चलन घर हमारा न लूटे। सगों से सगे कर न लेवें किनारा। फटे दिल मगर घर न फूटे हमारा।1। कभी प्रेम के रंग में हम रँगे थे। उसी
कोई शहर जब कोई एक का होता है तब वो शहर शहर नहीं होता उतरते हवाई जहाज से देखता हूं जब रौशनियों से खचाखच शहर
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
आधुनिक काल में गद्य
का आविर्भाव सबसे प्रधान साहित्यिक घटना है
हमारे साहित्य के भीतर जितनी अनेकरूपता का विकास हुआ है, उनको आरंभ तक लाकर, उसमें आगे की प्रवृत्तियों का सामान्य और संक्षिप्त उल्लेख करके ही छोड़ देने का था क्योंकि वर्तमान लेखकों और कवियों के संबंध में कुछ लिखना अपने सिर एक बला मोल लेना ही समझ पड़ता था। पर जी न माना। वर्तमान सहयोगियों तथा उनकी अमूल्य कृतियों का उल्लेख भी थोड़े-बहुत विवेचन के साथ डरते-डरते किया गया।