कविता, कहानी, ग़ज़ल, गीत, पौराणिक, धार्मिक एवं अन्य विधाओं का मायाजाल

Munshi Premchand Stories

घर जमाई – मुंशी प्रेमचंद

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुआँ उठता नजर आता था। छन-छन की आवाज…

ठाकुर का कुआँ – मुंशी प्रेमचंद

जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया…

स्‍वामिनी – मुंशी प्रेमचंद

शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे…

शांति – मुंशी प्रेमचंद

स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत…

बड़े भाई साहब – मुंशी प्रेमचंद

मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू…

आत्माराम – मुंशी प्रेमचंद

1 वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात: से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता…