Tag: Bihar

Posted on: June 2, 2020 Posted by: दीपक सिंह Comments: 0

शहर से गाँव

शहर से गाँव और गाँव से शहर की यात्रा में ज़िंदगी खो-सी गयी। गाँव में घर से स्कूल का बस्ता लेकर निकला हर इंसान यही कोशिश करता है कि पढ़-लिखकर शहर जाएगा। ग़र शहर नहीं पहुँचा तो कम से कम साहब बनकर किसी अन्य ज़िले या राज्य के गाँव में ही नौकरी कर लेगा। अपने गाँव में रहने की सोच को वो दबा लेता है क्योंकि कितने भी पैसे…

Posted on: December 23, 2017 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 2

हम सिसक सिसक सो जाते है

तेरा मेरी गली से गुजरना, मेरी नजरों पे आके वो रुकना । उन यादों के दामन थामे, हम संभल-संभल रुक जाते हैं।। तेरी बातों पे मेरा बिखरना, मेरे साये से तेरा लिपटना। उन लम्हों को पास यू पाके, हम मचल-मचल रह जाते हैं।। तेरी रातों में मेरा वो सपना, मेरी सुबहो में तेरा वो जगना। उन यादों को दिल से लगा के, हम सिसक-सिसक सो जाते है।। – स्मृति शंकर…

Posted on: June 1, 2017 Posted by: दीपक सिंह Comments: 0

मैं नैन्सी की लाश बोल रही हूँ

पूरी रात सो न सका वो विभत्स मंज़र देख कर, सोचा कि अगर नैन्सी सच में आज कुछ लिख पाती तो यही लिखती: नमस्कार! मैं नैन्सी की लाश बोल रही हूँ… श्श्श्श…आत्मा। मैं तो लाश थी… सड़ गयी पर आख़िर कैसे आप सभी का ज़मीर सड़ गया? मैं अपने पापा की गुड़िया थी…अम्माँ की परी…लेकिन जिन दरिंदों ने मुझे नोचा, फाड़ा, हवस से जला दिया, वो दरिंदे अभी भी मौज…