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Posted on: November 18, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

विकल्प – अज्ञेय

वेदी तेरी पर माँ, हम क्या शीश नवाएँ? तेरे चरणों पर माँ, हम क्या फूल चढ़ाएँ? हाथों में है खड्ग हमारे, लौह-मुकुट है सिर पर- पूजा को ठहरें या समर-क्षेत्र को जाएँ? मन्दिर तेरे में माँ, हम क्या दीप जगाएँ? कैसे तेरी प्रतिमा की हम ज्योति बढ़ाएँ? शत्रु रक्त की प्यासी है यह ढाल हमारी दीपक- आरति को ठहरें या रण-प्रांगण में जाएँ? – दिल्ली जेल, सितम्बर, 1931 विकल्प –…