Tag: पूस की रात

Posted on: June 4, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

पूस की रात – मुंशी प्रेमचंद

हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो रुपये हैं, दे दोगे तो कम्मल कहाँ से आवेगा ? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी ? उससे कह दो, फसल पर दे देंगे। अभी नहीं । हल्कू एक क्षण अनिश्चित दशा में खड़ा रहा…