Tag: प्रेमचंद

Posted on: June 8, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

घर जमाई – मुंशी प्रेमचंद

हरिधन जेठ की दुपहरी में ऊख में पानी देकर आया और बाहर बैठा रहा। घर में से धुआँ उठता नजर आता था। छन-छन की आवाज भी आ रही थी। उसके दोनों साले उसके बाद आये और घर में चले गए। दोनों सालों के लड़के भी आये और उसी तरह अंदर दाखिल हो गये; पर हरिधन अंदर न जा सका। इधर एक महीने से उसके साथ यहाँ जो बर्ताव हो रहा…

Posted on: June 8, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 1

ठाकुर का कुआँ – मुंशी प्रेमचंद

जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सड़ा पानी पिलाये देती है ! गंगी प्रतिदिन शाम पानी भर लिया करती थी । कुआँ दूर था, बार-बार जाना मुश्किल था । कल वह पानी लायी, तो उसमें बू बिलकुल न थी, आज पानी…

Posted on: June 5, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

शांति – मुंशी प्रेमचंद

स्वर्गीय देवनाथ मेरे अभिन्न मित्रों में थे। आज भी जब उनकी याद आती है, तो वह रंगरेलियाँ आँखों में फिर जाती हैं, और कहीं एकांत में जाकर जरा देर रो लेता हूँ। हमारे और उनके बीच में दो-ढाई सौ मील का अंतर था। मैं लखनऊ में था, वह दिल्ली में; लेकिन ऐसा शायद ही कोई महीना जाता हो कि हम आपस में न मिल पाते हों। वह स्वच्छंद प्रकृति के…

Posted on: June 5, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

बड़े भाई साहब – मुंशी प्रेमचंद

मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था जब मैने शुरू किया था; लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में वह जल्दबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भावना की बुनियाद खूब मजबूत डालना चाहते थे जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल…

Posted on: June 4, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

बेटोंवाली विधवा – मुंशी प्रेमचंद

पंडित अयोध्यानाथ का देहांत हुआ तो सबने कहा, ईश्वर आदमी की ऐसी ही मौत दे। चार जवान बेटे थे, एक लड़की। चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे, केवल लड़की क्‍वाँरी थी। संपत्ति भी काफी छोड़ी थी। एक पक्का मकान, दो बगीचे, कई हजार के गहने और बीस हजार नकद। विधवा फूलमती को शोक तो हुआ और कई दिन तक बेहाल पड़ी रही, लेकिन जवान बेटों को सामने देखकर उसे…

Posted on: June 4, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

माँ – मुंशी प्रेमचंद

आज बन्दी छूटकर घर आ रहा है। करुणा ने एक दिन पहले ही घर लीप-पोत रखा था। इन तीन वर्षों में उसने कठिन तपस्या करके जो दस-पाँच रूपये जमा कर रखे थे, वह सब पति के सत्कार और स्वागत की तैयारियों में खर्च कर दिये। पति के लिए धोतियों का नया जोड़ा लायी थी, नये कुरते बनवाये थे, बच्चे के लिए नये कोट और टोपी की आयोजना की थी। बार-बार…

Posted on: June 4, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

ईदगाह – मुंशी प्रेमचंद

रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है, यानी संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है,…

Posted on: June 4, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

पूस की रात – मुंशी प्रेमचंद

हल्कू ने आकर स्त्री से कहा- सहना आया है, लाओ, जो रुपये रखे हैं, उसे दे दूँ, किसी तरह गला तो छूटे । मुन्नी झाड़ू लगा रही थी। पीछे फिरकर बोली- तीन ही तो रुपये हैं, दे दोगे तो कम्मल कहाँ से आवेगा ? माघ-पूस की रात हार में कैसे कटेगी ? उससे कह दो, फसल पर दे देंगे। अभी नहीं । हल्कू एक क्षण अनिश्चित दशा में खड़ा रहा…

Posted on: May 30, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी

प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे।

Posted on: July 31, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

जब हमीरपुर के डीएम ने दी थी मुंशी प्रेमचंद को धमकी

हिंदी साहित्य में प्रेमचंद का कद काफी ऊंचा है और उनका लेखन कार्य एक ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिंदी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। मुंशी प्रेमचंद एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता और बहुत ही सुलझे हुए संपादक थे। प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने एक पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। उनकी लेखनी इतनी समृद्ध थी कि इससे कई पीढ़ियां प्रभावित…

Posted on: July 31, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

प्रेमचंद के जन्मदिवस पर विशेष

दुनिया के महानतम कथाकारों में शुमार मुंशी प्रेमचंद ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गोरखपुर की जिस रावत पाठशाला से पाई थी वहां उनका नामोनिशां तक नहीं है। यही नहीं पाठशाला के आधे से ज्यादा हिस्से की दीवारें दरककर आज जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़ी हैं। गोरखपुर नगर निगम ने पिछले साल कुछ काम जरूर कराया लेकिन पाठशाला से उसके अति विशिष्ट छात्र प्रेमचंद के रिश्ते को धरोहर के रूप में संजोना भूल…

Posted on: May 27, 2017 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

आत्माराम – मुंशी प्रेमचंद

1 वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रात: से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था। यह लगातार ध्वनि सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो गये थे कि जब किसी कारण से वह बंद हो जाती, तो जान पड़ता था, कोई चीज गायब हो गयी। वह नित्य-प्रति एक बार प्रात:काल अपने तोते का पिंजड़ा लिए कोई भजन गाता हुआ तालाब…