तेरा मेरी गली से गुजरना,
मेरी नजरों पे आके वो रुकना ।
उन यादों के दामन थामे,
हम संभल-संभल रुक जाते हैं।।
तेरी बातों पे मेरा बिखरना,
मेरे साये से तेरा लिपटना।
उन लम्हों को पास यू पाके,
हम मचल-मचल रह जाते हैं।।
तेरी रातों में मेरा वो सपना,
मेरी सुबहो में तेरा वो जगना।
उन यादों को दिल से लगा के,
हम सिसक-सिसक सो जाते है।।
–
स्मृति शंकर
ग्राम+पोस्ट – खिरहर, मधुबनी, बिहार
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