कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों है – कैफ़ी आज़मी
कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं एक ज़रा हाथ बढ़ा, दे तो पकड़ लें दामन उसके सीने में समा जाये हमारी धड़कन इतनी क़ुर्बत हैं तो फिर फ़ासला इतना क्यों हैं दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अब…