Category: परिचय

Posted on: July 6, 2021 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

भूले-बिसरे रचनाकार : अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध‘

अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे। अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में कार्य किया। वे सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किये गए थे। उन्होंने प्रिय प्रवास नामक खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य लिखा जिसे मंगलाप्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया…

Posted on: July 4, 2021 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

अशोक चक्रधर

इस सप्ताह के रचनाकार : अशोक चक्रधर डॉ॰ अशोक चक्रधर (जन्म ८ फ़रवरी सन् १९५१) हिंदी के विद्वान, कवि एवं लेखक है। हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण प्रसिद्ध वे कविता की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रमुख विद्वानों में से भी एक है। टेलीफ़िल्म लेखक-निर्देशक, वृत्तचित्र लेखक निर्देशक, धारावाहिक लेखक, निर्देशक, अभिनेता, नाटककर्मी, कलाकार तथा मीडिया कर्मी के रूप में निरंतर कार्यरत अशोक चक्रधर जामिया…

Posted on: February 23, 2021 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

अमृतलाल नागर

जन्म 17 अगस्त 1916 ई. को गोकुलपुरा, आगरा (उत्तर प्रदेश) में एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम राजाराम नागर था। आपके पितामह पं. शिवराम नागर 1895 से लखनऊ आकर बस गए थे। आपकी पढ़ाई हाईस्कूल तक ही हुई। फिर स्वाध्याय द्वारा साहित्य, इतिहास, पुराण, पुरातत्व व समाजशास्त्र का अध्ययन। बाद में हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला, अंग्रेजी पर अधिकार। पहले नौकरी, फिर स्वतंत्र लेखन, फिल्म लेखन का…

Posted on: July 27, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

अरुणा सीतेश

भूले-बिसरे रचनाकार : अरुणा सीतेश डा. अरुणा सीतेश जानी-मानी कथाकार थी। चांद भी अकेला है, वही सपने, कोई एक अधूरापन, लक्ष्मण रेखा और छलांग उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। डॉ॰ अरुणा सीतेश (३१ अक्टूबर १९४५-१९ नवंबर २००७) हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार थीं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से १९६५ में अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। १९७० में उन्होंने यहीं से डी. फ़िल की उपाधि प्राप्त…

Posted on: June 12, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

लाला श्रीनिवास दास

लाला श्रीनिवास दास (1850-1907) हिंदी के प्रथम उपन्यास के लेखक है. उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास का नाम परीक्षा गुरू (हिन्दी का प्रथम उपन्यास) है जो 25 नवम्बर 1882 को प्रकाशित हुआ. लाला श्रीनिवास दास भारतेंदु युग के प्रसिद्ध नाटककार भी थे. नाटक लेखन में लाला श्रीनिवास दास भारतेंदु के समकक्ष माने जाते हैं. वे उत्तरप्रदेश राज्य के मथुरा जिले के निवासी थे और हिंदी, उर्दू, संस्कृत, फारसी एवं…

Posted on: June 11, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पुश्तैनी बैरिस्टरों के परिवार में हुआ था. उसके वालिद एक नामी बैरिस्टर और शेसन जज थे. बचपन से ही मंटो बहुत ज़हीन थे, मगर शरारती भी कम नहीं थे. दाख़िला इम्तहान उसने दो बार फेल होने के बाद पास किया. इसकी एक वजह उनका उर्दू में कमज़ोर होना भी था. उन्हीं दिनों के आसपास उन्होंने तीन-चार दोस्तों के साथ मिलकर…

Posted on: May 30, 2020 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

मुंशी प्रेमचंद की जीवनी

प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे।

Posted on: November 22, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

भूले-बिसरे रचनाकार : अजित कुमार

अजित कुमार का जन्म 9 जून 1933, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक जमींदार परिवार में हुआ था| उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा, बहन कीर्ति चौधरी और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी प्रसिद्ध कवयित्री थीं| साहित्य और काव्य-प्रेम अजित जी को विरासत में मिला था| काव्य प्रतिभा और सुलझे विचारों की बदौलत उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में अपना ऊंचा मुकाम हासिल किया| उन्होंने कुछ समय कानपुर के किसी कॉलेज में…

Posted on: November 22, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

भूले-बिसरे रचनाकार : डॉ असग़र वजाहत

मूलतः और प्रथमतः असग़र वजाहत कहानीकार हैं। कहानी के बाद उन्होंने गद्य साहित्य की लगभग सभी विधाओं में लेखन किया और अपने लिए हमेशा नए प्रतिमान बनाए। अपने लिए जिस भी विधा को उन्होंने चुना वहाँ हमेशा पहले दर्जे की रचना संभव हुई। असग़र वजाहत के लेखन में अनेक कहानी संग्रह, पाँच उपन्यास, आठ नाटक और कई अन्य रचनाएँ शामिल हैं। इनकी पहली कहानी 1964 के आसपास छपी थी तथा पहला कहानी संग्रह ‘अंधेरे से’ 1976 में आपातकाल के दौरान पंकज बिष्ट के साथ (संयुक्त रूप से) छपा था। इनकी कहानियों के अनुवाद अंग्रेजी, इतालवी, रूसी, फ्रेंच, ईरानी, उज्बेक, हंगेरियन, पोलिश आदि भाषाओं में हो चुके हैं।

Posted on: November 20, 2019 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

भूले-बिसरे रचनाकार : अरुण कमल

अरुण कमल का वास्तविक नाम ‘अरुण कुमार’ है। साहित्यिक लेखन के लिए उन्होंने ‘अरुण कमल’ नाम अपनाया और यही नाम उनकी स्वाभाविक पहचान बन गया है। उनका जन्म 15 फरवरी 1954 ई० को बिहार के रोहतास जिले के नासरीगंज में हुआ था। पेशे से वे पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक हैं।