हरिशंकर परसाई की आत्महत्या
बात उन दिनों की है जब शक्तिमान और रामायण धारावाहिक शुरू नहीं हुए थे. जब कम्प्यूटर भारत में नहीं आया था और न ही टीवी ने घरों में अपना बैनामा करवाया था. उन दिनों वामपंथ, समाजवाद, हिंदुवाद के बीच कांग्रेस पिस रही थी और इन सभी के बीच जनता. परसाई जी अपने बरामदे में खटिया अड़ाकर रेडियो पर समाचार सुन रहे थे कि वीपी सिंह और चंद्रशेखर में से…