Category: गज़ल

Posted on: December 23, 2017 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 2

हम सिसक सिसक सो जाते है

तेरा मेरी गली से गुजरना, मेरी नजरों पे आके वो रुकना । उन यादों के दामन थामे, हम संभल-संभल रुक जाते हैं।। तेरी बातों पे मेरा बिखरना, मेरे साये से तेरा लिपटना। उन लम्हों को पास यू पाके, हम मचल-मचल रह जाते हैं।। तेरी रातों में मेरा वो सपना, मेरी सुबहो में तेरा वो जगना। उन यादों को दिल से लगा के, हम सिसक-सिसक सो जाते है।। – स्मृति शंकर…

Posted on: September 15, 2017 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 3

भुलाना न आसान होगा

दी खुशियां तूने जो मुझको, भुलाना न आसान होगा, मेरी हर कामयाबी पे, तेरा ही नाम होगा। रखूँगा तेरे हर तर्ज़ को, खुद में समां कर इस तरह, भूल कर भी खुद को, भुलाना न आसान होगा । खुदा भी तुझे मेरा कर, यह सोचता होगा, बेमिसाल इस प्यार को, भुलाना न आसान होगा। तेरी रफ़ाक़त से निकल कर, देख ली दुनिया, तेरी शख्शियत को, भूलना न आसान होगा।…

Posted on: January 22, 2015 Posted by: लिटरेचर इन इंडिया Comments: 0

कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों है – कैफ़ी आज़मी

कोई ये कैसे बताये के वो तन्हा क्यों हैं वो जो अपना था वो ही और किसी का क्यों हैं यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों हैं यही होता हैं तो आखिर यही होता क्यों हैं एक ज़रा हाथ बढ़ा, दे तो पकड़ लें दामन उसके सीने में समा जाये हमारी धड़कन इतनी क़ुर्बत हैं तो फिर फ़ासला इतना क्यों हैं दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अब…